ना कोई reason नहीं है ये ब्लोग लिखने का। सोचा कुछ का कुछ लिखते रहना चाहिए और कुछ करने को भी नहीं है मेरे पास। लाइफ बड़ी वीरान सी चल रही है। शायद येही चाहिए था मुझे। या येही होना था।
लाइफ बड़ी unpredictable चीज़ है। प्लान करके चलो तो पता चले। प्लान न करो तो ठीक।
मुझे याद है जब मैं छोटा था स्कूल टाइम मैं। तो जरुरत से ज्यादा शर्माता था
। बाद मैं पता चला की इस बीमारी को selective mutism कहते हैं
। बताओ!!! US मे ऐसे बच्चों का इलाज़ होता है। वहीं भारत देश मैं ऐसे लड़कों को बेवकूफ या फट्टू कहकर हकाल दिया जाता है। ऐसा भी काफी हुआ है मेरे साथ :)। बात ना कर पाना तो अभी भी है। फट्टू भी कह सकते हो। वो अभी भी हूँ। लड़ नहीं पता मैं। चाहे अपने हक के लिए ही क्यूँ ना हो। अब तो लगता है आउट ऑफ़ प्लेस हो गया हूँ मैं। तो लल्लू या फट्टू मैंने अब एक्सेप्ट कर लिया है।
ये ब्लॉग बस यूँ ही बना लिया। कई बार जब मुझे पता नहीं चलता है की क्या करूँ तो ऐसे कुछ काम करता हूँ जिनसे ध्यान बाँट जाता है। ये उनमे एक है। सायोनारा।
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