Friday, June 20, 2014

तेरे बारे में जब सोचा नहीं था

"तेरे बारे में जब सोचा नहीं था। मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था। "

१२:३० A M :
बैकग्राउंड में ये ग़ज़ल चल रही है। मैं अकेला हूँ और single malt scotch whiskey का शायद तीसरा जाम् है। और फिर एक automated process की तरह मेरे ख्याल तुम्हारी यादों को run करने लगे। 
बड़ी हिम्मत के बाद मैंने तुम्हारा आखरी ख़त निकाला। और हमेशा की तरह आख़िरी line तक नहीं पहुँच पाया। आँखें भर आई थीं। "तुम कभी खुश नहीं रहोगे। मेरी तरह तुम्हे और कोई नहीं चाहेगा। " यहीं तक।
    मैं चुप चाप सुनता गया और अनायास ही मेरा सर झुक गया। Guilt(अपराध बोध) से निकलने का कोई रास्ता नहीं है सिवाय इसके की उसको स्वीकार कर लेना। इसीलिए शायद मेरे ज़ेहन ने इस बात को स्वीकार कर लिया है।

१:३० A M :
    अभी भी वोही ग़ज़ल चल रही है। और अभी भी वो खत मेरे दायें हाथ में है। बायें में छठवां ज़ाम है।

२ A M :
    कौन सोचता है इतना। glass नीचे रखा और दिमाग़ ख़ाली  करने को बैंगलोर की रात की walk से अच्छा क्या होगा। दबे पाऊं building से बाहर आ गया हूँ। डगमगाते क़दमों से धीरे धीरे चला तो पता नहीं कितनी दूरी पे एक बेंच मिलीं। उसपे बैठ गया हूँ।

४ A M :
    वापस flat में आ गया हूँ और वोही ग़ज़ल चल रही है लैपटॉप पे।

तेरे बारे में जब सोचा नहीं था
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था
तेरे बारे में जब ...

तेरी तस्वीर से करता था बातें
मेरे कमरे में आईना नहीं था
मैं तन्हा था ...

समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था
मैं तन्हा था ...

मनाने रूठने के खेल में हम
बिछड़ जाएंगे ये सोचा नहीं था
मैं तन्हा था ...

सुना है बंद कर लीं उसने आँखें
कई रातों से वो सोया नहीं था
मैं तन्हा था ...

Wednesday, June 4, 2014

बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरी से धड़कने हैं, बावरी हैं साँसें
बावरी सी करवटों  से, निंदिया दूर भागे
बावरे से नैन चाहे, बावरे झरोखों से, बावरे नजारों को तकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से इस जहाँ मैं बावरा एक साथ हो
इस सयानी भीड़ मैं बस हाथों में तेरा हाथ हो
बावरी सी धुन हो कोई, बावरा एक राग हो
बावरे से पैर चाहें, बावरें तरानो के, बावरे से बोल पे थिरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरा सा हो अंधेरा, बावरी खामोशियाँ
थरथराती लौ हो मद्धम, बावरी मदहोशियाँ
बावरा एक घुंघटा चाहे, हौले हौले बिन बताये, बावरे से मुखड़े से सरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

--- स्वानंद किरकिरे

https://www.youtube.com/watch?v=QNB4ah9r79M