तुम्हें पता है अब मैं ज्यादा बहुत देर तक खुश नहीं रह पता।
ये खुशियाँ मुझे सौतेली सी लगती है।
तुम्हें पता है मेरे चेहरे पे जो लकीरें हैं ये उदासी की नहीं।
रस्साकस्सी है दिल और दिमाग की।
तुम्हें पता है अब प्यार हिसाब पूछ के किया जाता है।
कितने का प्यार कर पाओगे तुम,केवल 40-50 हज़ार तक।
तुम्हें पता है मेरी हथेलियाँ अब भी गर्म रहती हैं।
पर अब ये गरमाहट हथेलीयाँ जलाती हैं।
तुम्हें पता है अब मेरे बाएँ हाथ की तरफ़ कोई नहीं चलता।
मैं सबको दाएँ तरफ रखता हूँ।
तुम्हें पता है अब किसी को मेरी धड़कन सुनायी नहीं देती।
अब सीने से लगके भी कोई इन्हें सुन नहीं पाता।
तुम्हें पता है।
--- अतुल रावत
--- अतुल रावत
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