"मैं तुमसे? नहीं तो!!! क्यूँ? मैं क्यूँ करूँगा तुमसे?" उसके बार बार पूछने पे की मैं उस से प्यार करता हूँ मुझे कहना ही पड़ा। और वो फिर मूँह फूला के बैठ गयी। मुझे पता था ऐसा वो तभी करती है जब उसको थोडा नोक झोंक करने का मन करता है। उसे भी पता था की मैं ये जान जानबूझ कर कर रहा हूँ। पर कभी कभार प्यार है इसके एहसास की जरुरत होती है उसको। इसके बाद के सारे स्टेप्स एक रोबोट की भाँती follow होते हैं।
step 1: थोड़ी देर तक टेढ़ी आँख से उसको अपनी तरफ मुह फुलाए हुए तकते देखता हूँ। फिर "ठीक है बाबा करता हूँ।"
step 2: पक्का?
step 3: "हाँ बाबा पक्का।"
step 4: "कितना?"
step 5: "खूब सारा!"
step 6: "बहुत सारा वाला खूब सारा?"
step 7: "हाँ. बहुत सारा वाला खूब सारा."
step 8: हंसी ऐसे वापस आती है जैसे किसी ने बाँध का पानी छोड़ दिया हो। "फिर ठीक है।"
और फिर वो वापस अपने काम मैं लग जाती है। शायद ये उसका बचपन है जो चाहता है अपने बच्चों के साथ मैं भी उसे बच्चे की तरह ही प्यार करूँ।
--- अतुल रावत